Friday 30 August 2013

नाम - जप

नाम - जप


अस्पताल के कॉरीडोर से गुजरते समय मैंने देखा कि डॉ अय्यंगर अपने मित्र डॉ पार्थसारथी से,  न मालुम किस भाषा में गिटर-पिटर कर रहे थे. मेरी समझ में कुछ भी नही आ रहा था. कोई दो डॉक्टर आपस में बात कर रहे हों तो उसमें मेरे समझने जैसा क्या था और भला क्यों? लेकिन उनके हाव-भाव, पेशानी से छलकता पसीना, व्यग्रता और हडबडाहट ने मेरे मन में उत्सुकता जगा दी,  उनकी बातों के मर्म तक पहुँचने की. …
यह मेटेरनिटी वार्ड था. यहाँ मैं पिछले कुछ दिनों से अपनी बहन की डिलिवरी के सिलसिले में रोज आना जाना कर रही थी. ये दोनों डॉक्टर इसी वार्ड में सेवा-नियुक्त  थे. तीन-चार दिन पहले ही मेरी बहन ने इनसे मेरा परिचय करवाया था,  साथ ही यह भी कहा था कि इनकी देखरेख में भावी माताएं एवं उनके परिवार के सदस्य  महफूज और तनाव-मुक्त महसूस करते हैं . वे अति प्रतिष्ठित, कुशल व् अनुभवी डॉक्टर थे.
मेरी जिज्ञासा बढ़ रही थी. माजरा क्या है… मैं सीधे बहन के कमरे में गई . वह तन्मय होकर  अपनी बच्ची को दूध पिला रही थी, साथ ही कुछ गुनगुना भी रही थी. वह मेरे कमरे में आने से भी अनजान थी. मुझे उससे कुछ पूछकर उसके सुख में बाधा डालना उचित न लगा. तभी बाहर कुछ शोर सुनाई दिया. कई प्रेस-रिपोर्टर जोर-जोर से बोलते हुए इधर-उधर आ-जा रहे थे. उन्हें इन्हीं दोनों डॉक्टरों से तफ़तीश करनी थी. वे सुनी सुनाई बातों की जगह सीधे डॉक्टरों से ही बात करना चाहते थे. मेरी जिज्ञासा ने मुझे भीड़ के पीछे-पीछे चलने को विवश कर दिया.
कैमरे की तेज रौशनी, माइक, व् रिकार्डर के साथ किसी ने डॉक्टर अय्यंगर से पूछा,  ‘’डॉक्टर साहब आपको पता ही है कि बच्चे के जन्म से पहले बच्चे का सेक्स बतानाpaapa कानूनी जुर्म है, कितनी ही भ्रूण हत्यायें सिर्फ इसलिए की जाती हैं क्योंकि गर्भ में कन्या भ्रूण पल रहा होता है, और हमें खबर मिली है कि  यही काम आप दोनों डॉक्टर बडी ही चालाकी से,  भारी रकम के ऐवज में करते हैं . हम आप से ही पूछना चाहते हैं कि क्या यह बात सच है?”
बात का सीधा उत्तर न देकर डॉ अय्यंगर ने कहा, “क्या आपकी नजर में भगवान का नाम जपना भी अपराध की श्रेणी में आत है…निरीक्षण के बाद बाहर आकर  हम कभी  “जय माता दी” तो कभी “जय श्री कृष्णा” कहते हैं . जिसको जो समझना हो समझे या जिसको जो करना हो करे. फैसला उनका होता है। हमारा नहीं।”
भीड़ आगे बढ़ गई थी. मैं हत्बुद्धि, सन्न सोच में पड़ गई …...


सुधा  गोयल “नवीन”



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