Wednesday 30 September 2015

लोग कहते हैं कि ख़ुदकुशी की है


लोग कहते हैं कि ख़ुदकुशी की है

कतरा-कतरा खुशियों का गला घोंटा है ज़माने ने,
हर कदम पर मुसीबत खड़ी की है,

लोग कहते हैं कि ख़ुदकुशी की है।

खंदक भरी औ कंटीली गलियाँ है मोहब्बत की ,
लहुलुहान हुए फिर भी चलने की, हिमाकत की है,


दस्तूर-ए-वफ़ा है आशिक को खुदा का दर्ज़ा देना,
खुदा से भी पहले महबूब की इबादत की है,


कहते हैं कि जन्नत है माँ-बाप का गुलिस्ताँ,
इश्क की सरताज़ी को,माँ-बाप से बगावत की है,


मंजिले मोहब्बत है पार करना आग का दरिया,
हँस-हँस कर झुलसे पर उफ़ तक न की है ,

लोग कहते हैं कि ख़ुदकुशी की है।



25th april 2015