Friday 8 August 2014

इश्तिहार (laghu kathaa)



इश्तिहार (laghu kathaa)


लाउड-स्पीकर पर फुल-वाल्यूम में गाने बज रहे थे.  “झण्डा ऊंचा रहे हमारा….. “ “मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे -मोती, मेरे देश की धरती .........”  “ ऐ मेरे वतन के लोगों, ज़रा आंख में भर लो पानी………. “
15 अगस्त का दिन ........
छुट्टी का दिन ....... न केवल स्कूल-कॉलेज में वरन गली मोहल्लों में भी उत्सव का माहौल था. रंग-बिरंगे, नए कपड़ों में बच्चे गा रहे थे, झूम रहे थे. मिठाई वालों ने अपनी-अपनी दुकानें सड़क तक बढा ली  थीं . देश की आजादी का जश्न था , धूम-धाम से मनाना भी चाहिये. अनगिनत वीरों की कुर्बानी का प्रतिफल है, यह खुशी का दिन.
दादा जी गर्व से सर ऊंचा किये, साफ़ सफ़ेद बुर्राक धोती कुर्ता  पहने उस ओर बढ़ रहे थे जहाँ से लाउड-स्पीकर की आवाज आ रही थी. वहाँ एक तम्बू लगा था. एक स्टेज बना था और कुछ कुर्सियाँ पड़ी थीं . थोडी देर में वहाँ पर स्थानीय  नेता जी और सेना के एक  वरिष्ठ अधिकारी का आगमन होने वाला था. देश-प्रेम की भावना से ओत-प्रोत दादा जी, सेना के अधिकारी का ओजस्वी भाषण सुनने की बेताबी में जल्दी-जल्दी, बढ़े चले जा रहे थे. दादा जी ने ठीक स्टेज के सामने, पहली पंक्ति में  अपनी कुर्सी  संभाल ली और व्यग्रता से मुख्य अतिथियों के आने का इंतज़ार करने लगे. जैसे-जैसे समय बीतता जा रहा था उनका धैर्य जबाब देता जा रहा था. वे बडबडाये , “समय की पाबंदी नहीं ...  देश की बागडोर क्या संभालेंगे .... एक हमारा ज़माना था ....” बात-बात में अपने जमाने को याद करने की दादा जी की आदत सी हो गई थी ..
मोटर-गाड़ियों की कर्कश आवाज, उमडते हुए जन-समूह, धूल-धक्कड़ के साथ मुख्य अतिथियों ने पंडाल में प्रवेश किया. संकेतों की भाषा से लाउड-स्पीकर पर गाने बंद करने का आदेश हुआ जिससे भाषण में किसी प्रकार का विघ्न न हो. स्वागत आदि की कुछ औपचारिकताओं के बाद नेता जी ने अपने भाषण में स्वतंत्रता सेनानियों की अनेकानेक बार दोहराई गई कुर्बानियों के साथ अपनी पार्टी के योगदान पर प्रकाश डाला, फिर आज के नौजवानों में देश पर मर-मिट जाने के ज़ज्बे में आई घोर गिरावट पर चिंता व्यक्त करते हुए बताया कि पहले  सेना में भर्ती होने की होड़ लग जाती थी. फौलादी इरादों वाला हर नौजवान चाहता था कि उसकी अंतिम सांस देश के नाम पर हो. अपनी कुर्सी पर बैठे-बैठे दादा जी ने अभिमान पूर्वक स्वीकृति में सिर हिलाया . इधर नेता जी ने सेना के अधिकारी की ओर देखते हुए, जो पीछे बैठे अपनी बारी आने का इंतज़ार कर रहे थे, कहा,’’ जोशी जी, आप ही बताइये आज सेना में भर्ती के लिए नौजवानों को प्रेरित करने के लिए आपको कैसे-कैसे पापड़  बेलने पडते है.”
जोशी जी ने माइक सम्भाला और मुँह लटकाये हुए बोले, “जी हाँ जनाब आज की युवा पीढ़ी में देश प्रेम का वह जज्बा देखने को नही मिलता जो पहले हुआ करता था. नौजवानों को आकर्षित करने के लिए बहुत विचार-विमर्श के बाद हमने एक इश्तिहार निकाला ..  और जनाब मेरा विशवास करे उस इश्तिहार ने तो कमाल ही कर दिया. आवेदन-पत्रों की संख्या ने हमें अचंभित कर दिया. “
कुछ आवाजें उठी “इश्तिहार क्या था.”
जोशी जी बोले, “जनाब आज हीरो-हीरोइनों के प्रति जो आकर्षण है वह देश-प्रेम से बढ़कर सिद्ध हो रहा है. हमने इश्तिहार दिया था कि यदि आप प्रियंका चोपड़ा, प्रीटि जिंटा, अनुष्का शर्मा या  सेलिना जेटली जैसी हीरोइनों के पिता बनना चाहते हैं तो सेना में भर्ती होइये क्योंकि इन सभी हीरोइनों के पिता सेना में रहे हैं .”

दादा जी अनमने मन से उठे और घर का रुख किया. वे बड़बड़ा रहे थे, “ क्या ज़माना आ गया है.”


सुधा गोयल “नवीन”

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